तुम आना
मत आना तुम जब हो बसंत,
ग्रीष्म के बाद जब हो हेमंत,
चहक रहा हो तुम्हारा मन, आनंद हो अनन्त!
साफ हो असमान, हो रहा हो भोर, पंछियों का हो शोर,
तुम आना जब बिछड़ गया हो साथी कोई,
देकर पल दो पल का साथ
तुम आना जब आद्र हो नयन, मन हो उदास,
जब चल रही हो आंधी, चल रहा हो पतझड़,
तुम आना जब हृदय मे उठाती कोई तेज़ लहर हो ,
लहरों में भी तेज़ भँवर हो ,
दिन हो चाहे रात हो,
तुम आना जब हृदय को भेदती कोई बात हो,
आना जब निष्ठुर मौसम की हो मनमानी।
बरस रहा हो बादल का पानी!
तुम आना जब बताऊंगा तुम्हें जीवन का अर्थ,
जहा गम सौ बार मिलेंगे,दर्द और सर्द भारी आह मिलेंगे,
बाट लूंगा गम तुम्हारा, दुख तुम्हारा दर्द तुम्हारा,
पुरानी किसी बात पर तुम्हें हंसाउगा,
मेरे मन मे सहेजी हुई तुम्हारी सुंदर सी तस्वीर दिखाऊंगा,
मेरे हृदय का तार तार,
सुनाएगा तुम्हें सुंदर राग!❤️
- निर्भय आनंद
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